भारत रत्न चौधरी चरण सिंह के बारे में जानें: 1937 में पहली बार विधायक बने, किसानों के मसीहा कहलाए



Bharat Ratna To Chaudhary Charan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। चरण सिंह का जन्म किसान परिवार में हुआ था। वह 1937 में पहली बार विधायक बने थे।
चरण सिंह 


विस्तार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को देश पांच महान विभूतियों को भारत रत्न से सम्मानित किया है। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह का नाम भी शामिल है। चरण सिंह की पहचान किसान नेता के तौर पर रही है। राष्ट्रपति मुर्मू ने चरण सिंह का भारत रत्न (मरणोपरांत) उनके पोते जयंत सिंह को सौंपा। आइये जानते हैं चरण सिंह के बारे में...



#WATCH | President Droupadi Murmu confers Bharat Ratna upon former PM Chaudhary Charan Singh (posthumously)



The award was received by Chaudhary Charan Singh's grandson Jayant Singh pic.twitter.com/uaNUOAdz0N

— ANI (@ANI) March 30, 2024


किसान परिवार में जन्म
चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। कानून में प्रशिक्षित चरण ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरुआत की। वे 1929 में मेरठ आ गये और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।


1937 में पहली बार विधायक बने
चरण सिंह सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया। जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।

सी.बी. गुप्ता के मंत्रालय में वे गृह एवं कृषि मंत्री (1960) थे। सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में वे कृषि एवं वन मंत्री (1962-63) रहे। उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया। 1971 के लोकसभा चुनाव में चौधरी चरण सिंह मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे। उस चुनाव में उन्हें सीपीआई के विजयपाल सिंह ने 50,279 वोट से हराया था। इसके बाद आपातकाल लगा, चुनाव टले। 1977 में जब चुनाव हुए तो चौधरी चरण सिंह मुजफ्फरनगर की जगह बागपत सीट से चुनाव में उतरे। इस चुनाव में उन्होंने 1,21,538 से बड़ी जीत दर्ज की। बाद में देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भी बैठे। एक और बात 1971 में चौधरी चरण सिंह को हराने वाले विजय पाल सिंह 1977 में अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। उन्हें महज 8,146 वोट से संतोष करना पड़ा था। तब मुजफ्फरनगर सीट से लोकदल के सईद मुर्तजा जीतने में सफल रहे थे।


भ्रष्टाचार के सख्त विरोधी
कांग्रेस विभाजन के बाद फरवरी 1970 में दूसरी बार वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि राज्य में 2 अक्टूबर 1970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।

चरण सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की सेवा की एवं उनकी ख्याति एक ऐसे कड़क नेता के रूप में हो गई थी जो प्रशासन में अक्षमता एवं भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे। प्रतिभाशाली सांसद एवं व्यवहारवादी चरण सिंह अपने वाक्पटुता और दृढ़ विश्वास के लिए जाने जाते थे।


भूमि सुधार के लिए किया काम
उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का पूरा श्रेय उन्हें जाता है। ग्रामीण देनदारों को राहत प्रदान करने वाला विभागीय ऋणमुक्ति विधेयक, 1939 को तैयार करने एवं इसे अंतिम रूप देने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। उनके द्वारा की गई पहल का ही परिणाम था कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों के वेतन औऱ उन्हें मिलने वाले अन्य लाभों को काफी कम कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के रूप में जोत अधिनियम, 1960 को लाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह अधिनियम जमीन रखने की अधिकतम सीमा को कम करने के उद्देश्य से लाया गया था ताकि राज्य भर में इसे एक समान बनाया जा सके।

देश में कुछ ही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए इतनी लोकप्रियता हासिल की हो। चरण सिंह को लाखों किसानों के बीच रहकर प्राप्त आत्मविश्वास से काफी बल मिला।

चौधरी चरण सिंह ने अत्यंत साधारण जीवन व्यतीत किया और अपने खाली समय में वे पढ़ने और लिखने का काम करते थे। उन्होंने कई किताबें एवं रूचार-पुस्तिकाएं लिखी जिसमें ‘जमींदारी उन्मूलन’, ‘भारत की गरीबी और उसका समाधान’, ‘किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि, ‘प्रिवेंशन ऑ डिवीन ऑ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम’, ‘को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रेड’ आदि प्रमुख हैं।



Source: Amarujala

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