Electoral Bonds: देशभर में किस पार्टी को चुनावी बॉन्ड से कितना पैसा मिला, इनकी कितने राज्यों में है सत्ता?

Party-wise Electoral Bonds: बीते छह वर्षों में चुनावी बॉन्ड से भाजपा को सबसे अधिक 6566.125 करोड़ रुपये का दान मिला है। इसके बाद देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का दूसरा जबकि तृणमूल कांग्रेस का तीसरा स्थान है।
चुनावी बॉन्ड

विस्तार

गुरुवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने चुनावी बॉन्ड पर बड़ा निर्णय दिया। उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनावाई करते हुए इस पर रोक लगा दी। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया। न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की आलोचना की और कहा कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है।


अदालत के फैसले से यह भी सामने आया है कि योजना की शुरुआत के बाद किस पार्टी को कितना पैसा मिला है। इसमें केंद्र की सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस क्रमशः पहले और दूसरे स्थान पर हैं। हम आपको विशेष रिपोर्ट में बता रहे हैं कि देशभर की तमाम पार्टियों को चुनावी बॉन्ड से कितना पैसा मिला है? इन दलों की सियासी ताकत कितनी है?



चुनावी बॉन्ड 

भाजपा की स्थिति क्या है?

2017-18 से 2022-23 के बीच वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट से पता चला है कि भाजपा को सबसे अधिक दान मिला है। यह राशि 6566.125 करोड़ है जो सभी पार्टियों को मिले कुल दान का 54.7786% हिस्सा है। भाजपा की सियासी ताकत देखें तो 18 राज्यों में अकेले या सहयोगियों के साथ सत्ता में है। ये राज्य हैं राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार।


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कांग्रेस किस स्थान पर है?

बीते छह वर्षों में कांग्रेस को 1123.3155 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से मिले हैं। इस तरह से कुल दान में पार्टी की हिस्सेदारी 9.3714% है। कांग्रेस की राजनीतिक ताकत देखें तो यह पांच राज्यों में खुद या गठबंधन के तहत सरकार में शामिल है। ये राज्य हैं हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, झारखंड और तमिलनाडु।


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अन्य दलों की क्या स्थिति है?

भाजपा और कांग्रेस को छोड़ दें तो बाकी दलों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में किसी भी चुनावी बॉन्ड के योगदान की जानकारी नहीं दी है। इस मामले में तीसरे स्थान पर तृणमूल कांग्रेस है। पार्टी को बीते पांच वर्षों में 1092.9876 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के रूप में मिले हैं। सभी दलों में इसकी हिस्सेदारी 9.1184% है। टीएमसी केवल पश्चिम बंगाल में भी शासन कर रही है।

चुनावी बॉन्ड में हिस्सेदारी के हिसाब से चौथा स्थान भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का है। बीआरएस को गत पांच वर्षों में 912.6899 करोड़ रुपये हासिल हुए हैं और सभी दलों का यह 7.6142% हिस्सा है। इसने 2020-21 में चुनावी बॉन्ड के योगदान की जानकारी नहीं दी है। बीआरएस अभी किसी भी राज्य में सत्ता में नहीं है। पिछले साल तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव में बीआरएस को सत्ता से बेदखल करते हुए कांग्रेस सरकार में आ गई।

इस सूची में पांचवां स्थान बीजू जनता दल (बीजद) का है। पिछले पांच वर्षों में बीजद को 774.00 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से मिले हैं और कुल हिस्सेदारी 6.4572% है। नवीन पटनायक की बीजू जनता दल ओडिशा में सरकार चला रही है।


क्षेत्रीय दलों का क्या हाल है?
छठे पायदान पर मौजूद डीएमके को 616.50 करोड़ चुनावी बॉन्ड से मिले हैं। पार्टी की कुल भागीदारी 5.1432% की है। डीएमके फिलहाल तमिलनाडु में सत्ता में है।

वायएसआर कांग्रेस को बीते पांच वर्षों में 382.44 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से मिले हैं। सभी पार्टियों के हिसाब से इसकी भागीदारी 3.1905% है। जगन मोहन रेड्डी की वायएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश में सत्ता में है।

चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने चुनावी बॉन्ड से 146.60 करोड़ का योगदान हासिल किया है। दलों के हिसाब से यह 1.2230% हिस्सा है। टीडीपी अभी किसी भी राज्य में सत्ता में नहीं है।

वहीं महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टियों शिवसेना को 101.38 करोड़ रुपये (0.8458%) तो एनसीपी को 63.75 करोड़ रुपये (0.5318%) चुनावी बॉन्ड से मिले हैं। ये योगदान वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 में मिला है।

आम आदमी पार्टी को 94.28521 करोड़ चुनावी बॉन्ड से प्राप्त हुए हैं। सभी दलों में इसका हिस्सा 0.7866% है। आप अभी दिल्ली और पंजाब में सरकार में है।

इसके अलावा कर्नाटक की पार्टी जनता दल सेक्युलर को 48.7836 करोड़ रुपये (0.4070%), बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू को 24.40 करोड़ रुपये 0.2036% और समाजवादी पार्टी को 14.05 करोड़ रुपये (0.1172%) चुनावी बॉन्ड से मिले हैं।


Source: Amarujala

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