अमेरिका में ट्रंप सरकार आई,
पाकिस्तान का चिरस्थाई आतंक का धंधा मंदा पड़ने लगा। चिंताग्रस्त नवाज
सरकार नए धंधे में हाथ आजमाने लगी। हालांकि इसका ट्रायल साल भर पहले से चल
रहा है। आप जानकर कहीं उछल ने पड़ें कि बम-हथगोलों से बेवजह खेलने वाली पाक
सेना वीडियो एडिटिंग के बाजार में कूद गई है। प्रोड्यूसर की भूमिका में
आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा हैं। तो फंड नवाज सरकार रिलीज कर रही है।
वजह बड़ी गंभीर है। शरीफ को लगता है कि भारत में मोदी और यूपी में योगी आने
के बाद पाकिस्तान को कोई सीरियसली नहीं ले रहा है।
लोग पाकिस्तान को सीरियसली लें, इसलिए कुछ इंडियन नेवी के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।
लोग पाकिस्तान को सीरियसली लें, इसलिए कुछ इंडियन नेवी के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।
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पाक सरकार को लगता है कि उसने कुलभूषण से रॉ एजेंट होने की बात कबूल करवा ली है। हालांकि उस कुबूल नामे के लिए रॉ जैसा दिखने वाला वाडियो ही उसने बतौर सुबूत रखा है, जिसे जरूरत पड़ने पर बड़े आका ट्रंप और तमाम देशों के हिमायती संयुक्त राष्ट्र को दिखा सके।फर्जी वीडियो पर शेखी बघार रहे पाकिस्तान को इस सब से क्या लाभ होगा, इसका तो वह ही जानें लेकिन नवाज सरकार को लगता है कि इससे दो फायदे होंगे। एक- क्या पता विश्व समुदाय पाक को सीरियसली लेने की भूल करे और दूसरा ये कि कुछ नहीं तो कम से कम अपनी जनता को ही एक बार उल्लू बनाने का मौका मिल जाएगा। जनता को यह जताया जा सकेगा कि मुल्क में गरीबी-परेशानी और आतंक की वजह भारत ही है। हम नहीं।
कुलभूषण के कबूलनामे का वीडियो देखने पर प्रथम दृष्या लगता है कि पाक सेना के प्रोडक्शन हाउस के किसी नौसिखिए ट्रेनी ने इसे एडिट कर दिया। करीब 6 मिनट यानी 358 सेकंड के वीडियो में इतनी ही गलतियां की गई। 105 कट लगाए गए। कुलभूषण के हंसते भी हैं, इससे लगता है कि या तो उन्हें ड्रग्स दी गई थी या फिर उन पर 'इमोशनल अत्याचार' का चाबुक चलाकर जबरन आईएसआई की स्क्रिप्ट वाला टेलीप्रांप्टर पढ़वाया गया।
खुद देखिए-
पाक मामलों के जानकारों ने भी सवाल खड़े किए हैं। वे कह रहे हैं कि अगर यही बात थी तो भारतीय दूतावास के अधिकारियों को कुलभूषण से मिलने दिया होता। भांग खिलाकर या टार्चर करके तो कोई भी वीडियो बना लेगा। वीडियो कई एंगल से शूट किया गया। लाइट का भी ख्याल रखा गया। कहीं-कहीं आवाज ओवरलैप होती है और पाक सेना की घटिया एडिटिंग की पोल खुल जाती है।
वीडियो में कुलभूषण कहते दिख रहे हैं कि वह हुसैन मुबारक पटेल के नाम से पाक में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल थे। उन्हें ईरान बॉर्डर पर पाकिस्तान की तरफ से पकड़ा गया था। वह वीडियो में बताते हैं कि दिसंबर 2001 तक वह इंडियन नेवी में रहे। संसद हमले के बाद उन्होंने घरेलू खुफिया जानकारियां जुटानी शुरू कीं और 2003 में भारत की इंटेलिजेंस सर्विस ज्वाइन कर ली। वीडियो में कुलभूषण यह भी कहते हैं कि ईरान से बलूचिस्तान में वह आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे। ईरान के चाबहार में उन्होंने 10 साल पहले रॉ का बेस बनाया। कराची और बलूचिस्तान का दौरा करते रहे। कुलभूषण वीडियो में भारतीय नौसेना से अपने रिटायमेंट के बारे में बताते हुए भी दिख रहे हैं। वह कहते हैं कि 2022 में रिटायर होना है।
पहले भी पाकिस्तान अपनी शानदार एडिटिंग (जो हर बार पकड़ी जाती है) का नमूना दिखा चुका है। देखें...
भारत ने पहले ही कह दिया था कि वीडियो फर्जी है...
भारत सरकार ने यह तो माना कि कुलभूषण भारतीय नागरिक और नौसेना में अधिकारी
रह चुके हैं, लेकिन वीडियो को फर्जी करार दिया था। विदेश मंत्रालय ने इसे
दबाव में बनाया हुआ वीडियो बताया था। मंत्रालय ने बताया था कि कुलभूषण से
किसी भी भारतीय दूतावास के अधिकारी को मिलने नहीं दिया गया। कुलभूष कानूनन
ईरान में कारोबार करते थे। कस्टडी में उन्हें प्रताड़ित किया गया। हो सकता
है कि उन्हें ईरान से किडनैप किया गया हो।
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क्या बोला था पाकिस्तान
भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के एजेंट ने गैरकानूनी तरीके पाकिस्तान में
घुसपैठ की। वह बलूचिस्तान और कराची में बलूच अलगाववादियों और आतंकियों के
संपर्क में था। वहां वह सांप्रदायिक अधिकारों को लेकर लोगों को भड़का रहा
था।
भारत सरकार का कड़ा रुख
विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा है कि अगर पाकिस्तान में कुलभूषण को फांसी हुई तो भारत इसे ‘सोची-समझी हत्या’ मानेगा।
कुलभूषण मुंबई के पास पनवेल के रहने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक
उनका पासपोर्ट ठाणे का है। पासपोर्ट पर भी नाम हुसैन मुबारक पटेल लिखा है।
उनके पिता सुधीर जाधव मुंबई पुलिस में एडिश्नल कमिश्नर रह चुके हैं। पनवेल
में उनकी मां रहती हैं।
पाकिस्तान की फेक एडिटिंग एक और वीडियो...
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