भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज से, रोड शो के जरिए ओडिशा में दस्तक देंगे पीएम मोदी


ओडिशा में दो दशक बाद भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक शनिवार से शुरू होगी। इसमें पार्टी का मुख्य एजेंडा पूर्वी और तटीय राज्यों में संगठन को विस्तार देना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोड शो के अंदाज में शनिवार को भुवनेश्वर एयरपोर्ट से बैठक स्थल जनता मैदान जाएंगे। दोपहर बाद शुरू होने वाली कार्यकारिणी से पहले पदाधिकारियों की बैठक में कार्यकारिणी का एजेंडा तय होगा। 
संभवत: शनिवार को बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया जाएगा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली जबरदस्त सफलता के बाद हो रही कार्यकारिणी की बैठक में पीएम मोदी सहित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के मुख्यमंत्रियों का सम्मान किया जाएगा।

भाजपा ने अपने संगठन को विस्तार के लिए जिन राज्यों का चयन किया है, उनमें ओडिशा प्रमुख है। पार्टी की योजना पूर्वी और तटीय राज्यों में अपना आधार मजबूत करने की है। यही कारण है कि भुवनेश्वर से पहले पार्टी ने तटीय राज्य केरल में कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया था।

पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि चूंकि ओडिशा पूर्वी राज्यों के साथ तटीय राज्यों में भी शामिल है। ऐसे में भुवनेश्वर कार्यकारिणी से इन सभी राज्यों को व्यापक राजनीतिक संदेश दिया जा सकेगा। निकाय चुनाव में पार्टी को ओडिशा में जबरदस्त सफलता हासिल हुई है। इसलिए पार्टी नेतृत्व का ध्यान राज्य विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त प्रदर्शन करने पर है।

शनिवार को प्रधानमंत्री के स्वागत की भी राज्य इकाई ने जबरदस्त तैयारी की है। पार्टी इकाई की योजना प्रधानमंत्री को रोड शो की शक्ल में एयरपोर्ट से बैठक स्थल जनता मैदान ले जाने की है। शुक्रवार को यहां पहुंचे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह मोटरसाइकिलों के काफिले के साथ एयरपोर्ट से बैठक स्थल पहुंचे।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, दो दिवसीय बैठक के दौरान पार्टी के नेता दलितों, आदिवासियों को मजबूती के साथ पार्टी से जोड़ने की रणनीति तैयार करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी नकद लेन देन के बदले डिजिटल लेन देन को प्रोत्साहित करने का आह्वान करेंगे। कार्यकर्ताओं को लगातार व्यस्त रखने के लिए बैठक में कई तरह के कार्यक्रमों की भी घोषणा की जाएगी।

सुषमा को छोड़ सभी बड़े नेता होंगे शामिल
पार्टी के सभी बड़े नेता कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेंगे। हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वास्थ्य कारणों से इससे अलग रहेंगी। केंद्रीय तेल एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘सुषमा जी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नहीं हो पाएंगी। उन्हें डॉक्टरों ने आराम करने की सलाह दी है।’ सभी केंद्रीय मंत्री, भाजपा शासित 13 राज्यों के मुख्यमंत्री और तीन उपमुख्यमंत्री भी कार्यकारिणी में शामिल होंगे। 

ओडिशा में दलितों को साधने का प्रयास


शाह का कमल के फूल की दो मालाओं से स्वागत
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के शनिवार को ओडिशा पहुंचने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका शानदार स्वागत किया। शाह को कमल के फूल की दो मालाएं पहनाई गईं। एक माला में 21 फूल थे। यह जाहिर तौर पर राज्य की कुल लोकसभा सीटों का प्रतीक हैं। वहीं दूसरी माला में राज्य विधानसभा की 147 सीटों के बराबर फूल थे।

पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख बसंत पांडा और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने माला पहनाकर शाह का स्वागत किया। इस संबंध में पूछे जाने पर पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि दोनों माला में पिरोए गए कमल के फूलों की संख्या राज्य में लोकसभा (21) और विधानसभा की सीटों (147) के प्रतीक हैं। अभी राज्य में भाजपा के पास लोकसभा की एक सीट और विधानसभा की 10 सीटें हैं।

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दलित कवि भीमा भोई के नाम पर रखा गया कार्यक्रम स्थल का नाम
भाजपा ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक स्थल का नाम दलित कवि भीमा भोई के नाम पर रखा है। ताकि दलितों को लुभाया जा सके। ओडिशा में दलितों की आबादी 17 फीसदी से ज्यादा है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए बनाए गए मीडिया सेंटर का उद्घाटन करने के बाद केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक स्थल का नाम क्रांतिकारी कवि भीमा भोई के नाम पर रखा गया है।

संत कवि की विचारधारा का ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में करोड़ों लोग अनुसरण करते हैं।’ प्रधान ने कहा कि दलित संत कवि जन्म से ही नेत्रहीन थे, लेकिन उन्होंने कई क्रांतिकारी कविताएं लिखीं और उनकी विचारधारा को संयुक्त राष्ट्र ने सराहा है। उन्होंने कहा, ‘भीमा भोई एक समाज सुधारक और भाईचारे के प्रतीक भी थे और लोग, खासकर गरीब उनका सम्मान करते थे।’

ओडिशा के 147 विधानसभा क्षेत्रों में से 23 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि 21 लोकसभा सीटों में से तीन दलित समुदाय के लिए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 23 सीटों में से महज दो पर जीत मिली थी जबकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित तीनों लोकसभा सीट पर उसे हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी अब दलित वोटों पर ध्यान दे रही है।
Source : Amarujala
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